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कहा हे तू
तुझे आना ही पड़ेगा
अपने सम्मान को बचाना ही पड़ेगा ||
कहा हे तू
क्यू छुपी बैठी हे
किस इंतज़ार म तू
अपना आँचल भिगोये बैठी हे ||
दिला अहसास इन्हे तू
हर जर्रे मे हे तू रहती
जहा तू नही
वह जहा, जंहा नहीं ||
तेरा दर्द समझ, नही सकता कोई
इनकी नियत परख सकता नही कोई ||
तुझमे हे समाया ब्रह्मांड सारा
तेरे चलने से चलता ये जंहा सारा
तुझसे ही हे अस्तितव हमारा
वरना क्या पहचान हमारी ||
क्यू मायने बादल जाते हे इनके
उम्र ढलते ढलते
क्या सागर के पानी मे भी मिठास पाते हे ये
उम्र ढलते ढलते ||
कुछ लोगो ने
बंदिशे लगा रखी ह तुझपर
रास्ते रोके ह तेरे
कुछ बंद गलियो के वास्ते ||
तुझे तोड़ने ह बंधन सब आज
हालात चाहे कैसे हो
हर मंज़िल को छूना हे तूने
इन बंदिशों को तोड़कर ||
देख आसमा भी हे कुछ कह रहा
धरती भी हे तैयार
बस देर तेरे आने की
हर मंज़िल तक जाने की ||
तेरे आहट ये समझते नही
तेरा प्यार ये समझते नही
फिर किस “सच” से मिलने की बाते ये करते है ||
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